बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ (गोप गुट) का सातवां राज्य सम्मेलन आरा, जिला भोजपुर में 1-2 दिसंबर 2012 को संपन्न हुआ. इससे पहले सम्मेलन सभागार से शिक्षकों की रैली निकाली गई जो शहर के एक चौक पर स्थापित शहीद भगत सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के बाद पुनः सभागार पहुंच गई. वहां संघ के राज्य अध्यक्ष नागेंद्र सिंह ने झंडोत्तोलन किया, और शहीदों को दो मिनट की मौन श्रद्धांजलि दी गई.
तीन सदस्यीय अध्यक्षमंडल द्वारा संचालित सम्मेलन के खुले सत्र का उद्घाटन करते हुए प्रख्यात शिक्षाविद प्रो0 अनिल सदगोपाल ने नव उदारवादी दौर में शिक्षा के निजीकरण के चलते पैदा हो रहे सामाजिक विभेद का वर्णन किया. उन्होंने सरकार की नई शिक्षा नीति की कटु आलोचना करते हुए कहा कि यह नीति सभी बच्चों को शिक्षा के अधिकार की भावना का हनन करती है. उन्होंने प्राथमिक से लेकर विश्वविद्यालय स्तर तक के शिक्षकों की एकता बनाने पर जोर दिया.
एआईसीसीटीयू (ऐक्टू) के राष्ट्रीय महासचिव स्वपन मुखर्जी ने शिक्षा नीति को नई आर्थिक नीतियों का ही अंग बताते हुए कहा कि निजीकरण और ठेकाकरण सिर्फ शिक्षा क्षेत्र की विशेषता नहीं है, बल्कि वह अर्थतंत्र और लोकोपयोगी सेवा के हर क्षेत्र में अपनाया जा रहा है. देशी-विदेशी कॉरपोरेट पूंजी को मुनाफा कमाने की छूट देना और श्रमिकों को अधिकारविहीन करके उनका तीव्रतम शोषण करना ही इस नीति का मकसद है. इसीलिए उन्होंने शिक्षक आन्दोलन को देश के व्यापक मजदूर वर्ग आन्दोलन के साथ जोड़ने का आह्नान किया और इस संदर्भ में आगामी 20-21 फरवरी 2013 की राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल को शानदार ढंग से सफल बनाने की अपील की.
समकालीन लोकयुद्ध के सह संपादक और शिक्षक संघ के प्रधान सलाहकार प्रदीप झा ने कहा कि पहले से ही मौजूद शिक्षक संघों की संख्या में एक और की वृद्धि करने के लिए इस संघ का निर्माण नहीं किया गया है. बल्कि, शिक्षकों के बीच विभाजन बनाए रखने और उन्हें संघर्ष के रास्ते से दूर रखने वाले दलाल, आत्मसमर्पणवादी और विभाजनकारी संगठनों को अलगाव में डालते हुए व्यापक शिक्षकों की एकता बनाकर नई आर्थिक व शिक्षा नीतियों और इन्हें लागू करनेवाली सरकारों के खिलाफ उन्हें जुझारू संघर्षों में गोलबंद करने के लिए ही इस संघ का निर्माण किया गया है. इस मूलभूत दिशा को ध्यान में रखकर ही हमें अपना हर कदम निर्धारित करना होगा.
स्कूल टीचर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के महासचिव के राजेंद्रन ने निजीकरण, ठेकाकरण और नई पेंशन स्कीम की नीतियों की भर्त्सना करते हुए अखिल भारतीय स्तर पर स्कूली शिक्षकों के आन्दोलनों को एक मंच पर लाने तथा फेडरेशन को और मजबूत व कारगर बनाने की अपील की.
इनके अलावा अतिथि सत्र को महासंघ (गोप गुट) के अध्यक्ष महेंद्र राय, प्रो0 मधु प्रसाद, नगर प्रखंड पंचायत शिक्षक संघ के अध्यक्ष प्रदीप कुमार ‘पप्पू’, नवनियोजित माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष गणेश शंकर पांडे, ऐक्टू के जिला प्रभारी, यदुनंदन चौधरी समेत कई सम्मानित अतिथियों ने संबोधित किया.
उसी दिन शाम में प्रतिनिधि सत्र का उद्घाटन महासंघ (गोप गुट) के महासचिव रामबली प्रसाद ने किया. उन्होंने नीतीश सरकार को पूर्व की लालू-राबड़ी सरकार से भी ज्यादा निरंकुश बताते हुए कहा कि नियोजित शिक्षकों को कई बार उन्होंने बर्बर पुलिस दमन का शिकार बनाया है. लेकिन शिक्षकों-कर्मचारियों का आन्दोलन जारी है. उनकी अधिकार यात्रा के दौरान शिक्षकों ने इसी संघ के बैनर तले उनका जबरदस्त प्रतिवाद किया. आरा में प्रतिवाद के संभावित तेवर को भांपकर उन्होंने यहां से अपनी यात्रा बंद कर दी.
विदाई राज्य कमेटी की ओर से महासचिव प्रदीप राय द्वारा प्रस्तुत मसविदा दस्तावेज को जीवंत बहस के बाद सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया. सम्मेलन ने 17-सदस्यीय राज्य कमेटी का चुनाव किया. अध्यक्ष के बतौर अरविंद कुमार, महासचिव के पद पर अखिलेश कुमार तथा कोषाध्यक्ष के बतौर बसावन सिंह तथा अन्य पदाधिकारियों का निर्वाचन किया गया.
सम्मेलन में समान स्कूल शिक्षा प्रणाली लागू करवाने, नए शिक्षा अधिकार कानून का विरोध जारी रखने तथा आगामी 20-21 फरवरी को आहूत राष्ट्रव्यपी हड़ताल को सफल बनाने के साथ-साथ कई अन्य महत्वपूर्ण संकल्प लिए गए. सम्मेलन में 23 जिलों के 324 प्रतिनिधियों और लगभग सवा सौ प्रेक्षकों ने भाग लिया. ु