भारत और पाकिस्तान के बीच गुरुवार को करतारपुर कॉरिडोर को लेकर समझौता हुआ है। दोनों देशों की ओर से इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। इस समझौते के बाद भारतीय श्रद्धालु करतारपुर स्थित दरबार साहिब के दर्शन के लिए जा सकेंगे। लेकिन हर श्रद्धालु को इसके लिए 20 डॉलर (करीब 1400 रुपये) शुल्क देना होगा। साथ ही पाकिस्तानी वीजा की भी जरूरत नहीं होगी।गौरतलब है कि भारत ने कई बार पाकिस्तान से कहा कि वह शुल्क कम करे। लेकिन पाकिस्तान नहीं माना। अब सवाल है कि पाकिस्तान हर भारतीय श्रद्धालु से 1400 रुपये क्यों ले रहा है? उसने शुल्क कम क्यों नहीं किया?क्यों इस शुल्क को 'जजिया' कहा जा रहा है? क्या होता है जजिया? इन सवालों के जवाब आगे पढ़ें।
पाकिस्तान क्यों ले रहा है पैसे?
पाकिस्तान की तरफ से समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले विदेश कार्यालय के प्रवक्ता और डीजी (दक्षिण एशिया व सार्क) मोहम्मद फैजल ने कहा कि 'जितना खर्च किया जा रहा है उसकी तुलना में यह शुल्क काफी कम है। यहां आकर देखें, ये अद्भुत चीज है।'
पाकिस्तान ने करतारपुर कॉरिडोर के ढांचागत विकास के लिए करीब एक हजार करोड़ रुपये खर्च किए हैं। यहां गुरुद्वारा दरबार साहिब जाने वाले श्रद्धालुओं को लंगर भी खिलाए जाएंगे। साथ ही ई-रिक्शा फेरी सेवा भी दी जाएगी। श्रद्धालुओं से जो पैसे लिए जा रहे हैं, वह बतौर सेवा शुल्क लिए जा रहे हैं।
पाकिस्तान ने करतारपुर कॉरिडोर के ढांचागत विकास के लिए करीब एक हजार करोड़ रुपये खर्च किए हैं। यहां गुरुद्वारा दरबार साहिब जाने वाले श्रद्धालुओं को लंगर भी खिलाए जाएंगे। साथ ही ई-रिक्शा फेरी सेवा भी दी जाएगी। श्रद्धालुओं से जो पैसे लिए जा रहे हैं, वह बतौर सेवा शुल्क लिए जा रहे हैं।
इस शुल्क को कहा जा रहा है 'जजिया'
पाकिस्तान द्वारा भारतीय श्रद्धालुओं पर लगाए जा रहे इस शुल्क ने भारत में राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इसे 'जजिया' बताया है।
वहीं, विशेषज्ञों का कहना है कि एक स्वतंत्र देश होने के नाते पाकिस्तान के पास अधिकार है कि वह श्रद्धालुओं पर शुल्क लगा सकता है। लेकिन करतारपुर मामले में 20 डॉलर शुल्क को समझौता का हिस्सा बनाया गया है। इसका मतलब ये है कि भविष्य में अगर पाकिस्तान यह शुल्क बढ़ाना भी चाहेगा तो उसे भारत की सहमति लेनी होगी।
वहीं, विशेषज्ञों का कहना है कि एक स्वतंत्र देश होने के नाते पाकिस्तान के पास अधिकार है कि वह श्रद्धालुओं पर शुल्क लगा सकता है। लेकिन करतारपुर मामले में 20 डॉलर शुल्क को समझौता का हिस्सा बनाया गया है। इसका मतलब ये है कि भविष्य में अगर पाकिस्तान यह शुल्क बढ़ाना भी चाहेगा तो उसे भारत की सहमति लेनी होगी।
क्या होता है 'जजिया'
इस्लामी कानून के तहत जजिया एक तरह का प्रतिव्यक्ति कर है। इसे एक इस्लामिक देश द्वारा गैर मुस्लिम लोगों पर लगाया जाता है। भारत में भी मुगल शासकों ने ही जजिया लगाना शुरू किया था। हालांकि इतिहासकार बताते हैं कि भारत में मुगल शासन के दौरान इसे अलग-अलग समय व स्थान से हटाया भी गया। जैसे- 1564 में अकबर ने राजस्थान से जजिया हटाया था।
पंजाब सरकार क्यों नहीं दे रही ये शुल्क?
केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने पंजाब (भारत) के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से श्रद्धालुओं के बदले सरकारी खजाने से ये शुल्क देने की बात कही थी। लेकिन पंजाब के कैबिनेट मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने इसके लिए साफ मना कर दिया। बात हुई कि पंजाब सरकार के पास फंड की कमी है। फिर कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने केंद्र सरकार द्वारा ये शुल्क दिए जाने की मांग रख दी।10 नवंबर से करतारपुर कॉरिडोल भारतीय श्रद्धालुओं के लिए खुल जाएगा। यह सप्ताह में हर दिन सुबह से शाम तक खुला रहेगा। संभावना जताई जा रही है कि भारत से करीब पांच हजार श्रद्धालु दर्शन के लिए पाकिस्तान जाएंगे और उसी दिन वापस लौट आएंगे। 1400 रुपये के अनुसार अगर पांच हजार लोगों का खर्च देखा जाए, तो यह प्रतिदन करीब 70 लाख रुपये आएगा। यानी सालाना करीब 265 करोड़ या ज्यादा।
वहीं, पाकिस्तान ने ये भी कहा है कि इस समझौते के तहत भारतीय श्रद्धालु सिर्फ करतारपुर साहिब गुरुद्वारा का ही दर्शन कर सकेंगे। अन्य किसी गुरुद्वारे के लिए उन्हें वीजा लेकर पूरी प्रक्रिया के तहत पाकिस्तान जाना होगा।
वहीं, पाकिस्तान ने ये भी कहा है कि इस समझौते के तहत भारतीय श्रद्धालु सिर्फ करतारपुर साहिब गुरुद्वारा का ही दर्शन कर सकेंगे। अन्य किसी गुरुद्वारे के लिए उन्हें वीजा लेकर पूरी प्रक्रिया के तहत पाकिस्तान जाना होगा।